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मेरी एक आँख में रात अभी सोई है / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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मेरी एक आँख में रात अभी सोई है
दुसरी आँख में सुबह सुगबुगाने लगी
सुहागरात से जगी हो मेरी नींद जैसे