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नहीं एक दिल की लगी छूटती है / गुलाब खंडेलवाल
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20:19, 24 जून 2011
नहीं एक दिल की लगी छूटती है
भले ही भरी
जिन्दगी
ज़िन्दगी
छूटती है
वे घबरा के यों मेरी
बांहों
बाँहों
में आये
पहाड़ों से जैसे नदी छूटती है
की जैसे कोई फुलझडी छूटती है
वही
है
हैं
सभी प्यार की रंगरलियाँ
ये दुनिया भरी की भरी छूटती है
Vibhajhalani
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