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<poem>
'''किरीट सवैया'''
''(भ्रमरावली के मुख से वसंत-महिमा का कथन)''

सौंधे समीरन कौ सरदार, मलिंदन कौ मनसा-फल-दायक ।
किंसुक-जालन कौ कलपद्रुम, मानिनी-बालन हूँ कौ मनायक ॥
कंत अनंत, अनंत कलीन कौ, दीनन के मन कौ सुख दायक ।
साँचौ मनोभव-राज कौ साज, सु आवत आज इतै ऋतु-नायक ॥७॥
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