भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सौंधे समीरन कौ सरदार / शृंगार-लतिका / द्विज
Kavita Kosh से
किरीट सवैया
(भ्रमरावली के मुख से वसंत-महिमा का कथन)
सौंधे समीरन कौ सरदार, मलिंदन कौ मनसा-फल-दायक ।
किंसुक-जालन कौ कलपद्रुम, मानिनी-बालन हूँ कौ मनायक ॥
कंत अनंत, अनंत कलीन कौ, दीनन के मन कौ सुख दायक ।
साँचौ मनोभव-राज कौ साज, सु आवत आज इतै ऋतु-नायक ॥७॥