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Kavita Kosh से
*[[कुछ और चाँद के ढलते सँवर गयी है रात / गुलाब खंडेलवाल ]]
*[[कुछ और भी है उन आँखों की बेज़ुबानी में / गुलाब खंडेलवाल ]]
*[[ख़त्म उनपर उन पर हैं सभी शोख़ियाँ ज़माने की / गुलाब खंडेलवाल ]]
*[[ख़्वाब समझें कि वाक़या समझें / गुलाब खंडेलवाल ]]
*[[चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए / गुलाब खंडेलवाल ]]