भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
हर सुबह एक ताज़ा गुलाब
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अब कहाँ मिलने की सूरत रह गयी! / गुलाब खंडेलवाल
- अब कोई प्यार की पहल तो करे / गुलाब खंडेलवाल
- अब उन हसीन अदाओं का रंग छूट गया / गुलाब खंडेलवाल
- आ, कि अब भोर की यह आख़िरी महफ़िल बैठे / गुलाब खंडेलवाल
- आप और घर पे हमारे, क्या ख़ूब! / गुलाब खंडेलवाल
- आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से! / गुलाब खंडेलवाल
- इन आँसुओं से तुम अपना दामन सजा रहे थे, पता नहीं था / गुलाब खंडेलवाल
- उसने करवा दी मुनादी शहर में इस बात की -- / गुलाब खंडेलवाल
- कभी दो क़दम, कभी दस क़दम, कभी सौ क़दम भी निकल सके / गुलाब खंडेलवाल
- कभी होँठों पे दिल की बेबसी लाई नहीं जाती / गुलाब खंडेलवाल
- कहने को तो वे हमपे मेहरबान बहुत हैं / गुलाब खंडेलवाल
- कहाँ आ गए चलके हम धीरे-धीरे / गुलाब खंडेलवाल
- क्या छिपी है अब हमारे दिल की हालत आपसे! / गुलाब खंडेलवाल
- कुछ और चाँद के ढलते सँवर गयी है रात / गुलाब खंडेलवाल
- कुछ और भी है उन आँखों की बेज़ुबानी में / गुलाब खंडेलवाल
- ख़त्म उन पर हैं सभी शोख़ियाँ ज़माने की / गुलाब खंडेलवाल
- ख़्वाब समझें कि वाक़या समझें / गुलाब खंडेलवाल
- चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए / गुलाब खंडेलवाल
- ज़माने भर की निगाहों से टालकर लाये / गुलाब खंडेलवाल
- ज़िन्दगी मरने से घबराती भी है / गुलाब खंडेलवाल
- ज़िन्दगी में यह सवाल उठता है अक्सर, क्या करें! / गुलाब खंडेलवाल
- जीने का कोई हासिल न मिला आख़िर यह उम्र तमाम हुई / गुलाब खंडेलवाल
- जो यहाँ पे आये थे सैर को, नहीं फिर वे लौटके घर गये / गुलाब खंडेलवाल
- जो सच कहें तो ये कुल सल्तनत हमारी है / गुलाब खंडेलवाल
- तुझसे लड़ जाय नज़र, हमने ये कब चाहा था! / गुलाब खंडेलवाल
- तेरी बेरुख़ी ने मुझको ये हसीन ग़म दिया है / गुलाब खंडेलवाल
- दर्द को हँसकर उड़ाना चाहिए / गुलाब खंडेलवाल
- दिन गुज़रते गये, रात होती रही / गुलाब खंडेलवाल
- दिल को हमारे प्यार का धोखा तो नहीं है / गुलाब खंडेलवाल
- दिल हमें देखके कुछ देर को धड़का होता / गुलाब खंडेलवाल
- दिये तो हैं रोशनी नहीं है, खड़े हैं बुत ज़िन्दगी नहीं है / गुलाब खंडेलवाल
- न छोड़ यों मुझे, ऐ मेरी ज़िन्दगी! बेसाज़ / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार का रंग हज़ारों से अलग होता है / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार किस तरह उनको समझायें! / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार की हम तो इशारों से बात करते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार दिल में है अगर प्यार से दो बात भी हो / गुलाब खंडेलवाल
- पाँव तो उस गली में धरते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- फूल अब शाख़ से झड़ता-सा नज़र आता है / गुलाब खंडेलवाल
- बात ऐसे तो बहुत होके रही अपनी जगह / गुलाब खंडेलवाल
- बेझिझक, बेसाज़, बेमौसम के आ / गुलाब खंडेलवाल
- भेंट उसने गुलाब की ले ली / गुलाब खंडेलवाल
- मुझे देखते रहे जो बड़ी बेरुख़ी से पहले / गुलाब खंडेलवाल
- मेरी चाह उस नज़र में है, कभी है, कभी नहीं है / गुलाब खंडेलवाल
- यह प्यार दग़ा दे, कभी ऐसा नहीं होगा / गुलाब खंडेलवाल
- यों ख़यालों में उभरता है एक हसीन-सा नाम / गुलाब खंडेलवाल
- यों तो निशान पाँव का मिलता है यहीं तक / गुलाब खंडेलवाल
- यों तो सभीसे मेल-मुहब्बत है राह में / गुलाब खंडेलवाल
- राह हमको लिये जाती है कहाँ, कौन कहे! / गुलाब खंडेलवाल
- लगा न होँठ से प्याला तो एक बार कभी / गुलाब खंडेलवाल
- हम उनके प्यार में जगते रहे हैं सारी रात / गुलाब खंडेलवाल
- हमसे वो चुराता नज़र, ऐसा तो नहीं था / गुलाब खंडेलवाल
- हर क़दम यह राह मुश्किल और है / गुलाब खंडेलवाल
- हमारी ज़िन्दगी ग़म के सिवा कुछ और नहीं / गुलाब खंडेलवाल
- हमारे वास्ते कहना है जो, ख़ुशी से कहो / गुलाब खंडेलवाल