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प्यार का रंग हज़ारों से अलग होता है / गुलाब खंडेलवाल

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प्यार का रंग हज़ारों से अलग होता है
यह इशारा कभी यारों से अलग होता है

यों तो रहती है हरेक फूल की रंगत में बहार
फूल का रंग बहारों से अलग होता है

दिल हरेक चाँद-सी सूरत पे मचलता है, मगर
कोई इन चाँद-सितारों से अलग होता है

है धुआँ आज नदी पर, जलाके नाव अपनी
दिलजला कौन किनारों से अलग होता है!

वे न देखें तुझे, यह बात है कुछ और, गुलाब!
वरना यह रंग हज़ारों से अलग होता है