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बात ऐसे तो बहुत होके रही अपनी जगह / गुलाब खंडेलवाल

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बात ऐसे तो बहुत होके रही अपनी जगह
हमने पायी है उसी दिल में सही अपनी जगह

हम हैं आज़ाद सदा और बँधे भी हरदम
तुम भी ठीक अपनी जगह, हम भी सही अपनी जगह

एक वीरान-सा मैदान शहर के आगे
क्या पता और दें हम, दोस्त! वही अपनी जगह

यों तो होने को हुई उनसे हज़ारों बातें
फिर भी एक बात जो दिल में थी, रही अपनी जगह

शर्त रहती है किसे याद बहारों की, गुलाब!
छोड़िए जो भी कही, जो न कही, अपनी जगह