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दिल हमें देखके कुछ देर को धड़का होता / गुलाब खंडेलवाल

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दिल हमें देखके कुछ देर को धड़का होता
तुम किसी और के होते भी अगर, क्या होता!

हम भी सीने में तड़पता हुआ कुछ रखते थे
दो घड़ी रुकके कभी हाल तो पूछा होता!

हमको भूलोगे नहीं, सच है, मगर कहते वक्त
अपना चेहरा कभी शीशे में भी देखा होता!

दिल में कुछ और भी यादों की कशिश बढ़ जाती
तुम जो मिलते भी तो आख़िर यही रोना होता

जानते हम, ये हवा रास न आयेगी, गुलाब!
भूलकर भी न क़दम बाग़ में रखा होता!