भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार की हम तो इशारों से बात करते हैं / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


प्यार की हम तो इशारों से बात करते हैं
फूल जिस तरह बहारों से बात करते हैं

कुछ तो है और भी इन ख़ाक के पुतलों में ज़रूर
होके जुगनू भी सितारों से बात करते हैं

हम जिसे अपना समझ लें वो कोई और ही है
यों तो करने को हज़ारों से बात करते हैं

अब ये छोटा-सा सफ़र ख़त्म हुआ ही समझें
बुलबुले उठके किनारों से बात करते हैं

दो घड़ी आपकी नज़रों पे चढ़ गए थे गुलाब
रात भर चाँद-सितारों से बात करते हैं