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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= श्रद्धा जैन }} {{KKCatGhazal}} <poem> मुस्कराना मुझे भी आता है…
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{{KKRachna
|रचनाकार= श्रद्धा जैन
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मुस्कराना मुझे भी आता है
बेसबब कौन मुस्कराता है

भूलना चाहती हूँ मैं जिसको
क्यूँ वही शख्स याद आता है

किसको को है इंतज़ार खुशियों का
रेत पर कौन घर बनाता है

सामने आइना मेरे रख कर
क्यूँ नज़र से मुझे गिराता है
</poem>
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