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मुट्ठी में अब ये चाँद-सितारे हुए तो क्या! / गुलाब खंडेलवाल
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20:42, 11 अगस्त 2011
मेहराब थे फूलों के वे औरों के वास्ते
दम भर
किसी के
किसीके
हम भी सहारे हुए तो क्या!
अब भी
उन्ही
उन्हीं
बहार के रंगों में हैं गुलाब
हैं आपकी नज़र से उतारे हुए तो क्या!
<poem>
Vibhajhalani
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