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बेझिझक, बेसाज़, बेमौसम के आ / गुलाब खंडेलवाल
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17:57, 12 अगस्त 2011
हम उन्हें कैसे सुनाएँ दिल की बात!
कह रहे हैं, 'बोल
पे
पर
सरगम के आ'
और दम भर, और दम भर आँधियो!
Vibhajhalani
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