{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी}}{{KKCatGhazal}}<poem>हरिक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती|<br />ये दुनिया है, यहाँ सर पे सभी के छत नहीं मिलती|१|<br /><br />इधर बच्चे पिता के प्यार, माँ के दूध को तरसें|<br />उधर माँ-बाप को, औलाद से इज्ज़त नहीं मिलती|२|<br /><br />शरीफ़ों की सियासत की विरासत की ये हालत है|<br />रियायत मिलती है, लेकिन कभी राहत नहीं मिलती|३|<br /><br />हमें तो शाइरी में दोस्त का चेहरा दिखा हरदम|<br />सिवा इस के, कोई भी दूसरी सूरत नहीं मिलती|४|<br /><br />तुम्हीं बोलो मेरे यारो, उसे महफिल कहें कैसे|<br />जहाँ पर शाइरों को, बा-अदब, इज्ज़त नहीं मिलती|५|<br /><br />तरक्की किस तरह होगी भला उस मुल्क़ की प्यारे|<br />परिश्रम को, जहाँ, उस की सही क़ीमत नहीं मिलती|६|<br /><br />जिसे देखो वही मशरूफ़ियत के गीत गाता है|<br />हमें भी दीन दुनिया से अधिक फुर्सत नहीं मिलती|७|<br /poem>