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|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
|संग्रह=सुबह की दस्तक / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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<poem>
इक ख़्वाब ले रहा है ऊँची उड़ान फिर
थामे समय खड़ा है तीरो-कमान फिर
हरदम ‘अकेला’ तेरे मन की कहाँ से हो
सर पे उठा रखा है क्यों आसमान फिर</poem>