भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
979 bytes added,
03:27, 16 सितम्बर 2011
समझेगा कौन हमको इतना ज़रा बता दो
किस बात पे हैरां हो इतना ज़रा बता दो
'''देखा है जब से तुमको दिल तुम पे आ गया हैजाएं तो किस जहां को इतना ज़रा बता दो हमसे ख़फ़ा न होंगे वादा किया था तुमनेख़ामोश क्यूं हुए हो इतना ज़रा बता दो कहना है जितना आसां मुश्किल है क्य़ूं निभानाहम पूछते हैं तुमको इतना ज़रा बता दो ख़ामोश हैं निगाहें गुमसुम सी क्यूं तुम्हारी"आज़र" ज़रा सा ठहरो, इतना ज़रा बता दो