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{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
}}

<poem>
प्यार जब भी बहक गया होगा ,
एक शोला भड़क गया होगा .
याद के फूल जब खिले होंगे ,
दिल का आंगन महक गया होगा .
कोई चेहरा बुरा नहीं होता ,
आइना ही चटक गया होगा ,
दिल के अरमान जग गये होंगे ,
उनका घूंघट सरक गया होगा .
‘शम्स’ जो बेगुनाह था उसपर ,
सबसे पहले ही शक गया होगा
</poem>