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09:53, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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{{KKCatKavita}}
<poem>बोलो औ है कैड़ो घर बाबा
म्हांनै तो लागै अठै डर बाबा
भेळा कर सको तो करो मिणिया
गई म्हांरी माळा बिखर बाबा
सांस लेवतां लागै डर म्हांनै
हवा तकात में है जहर बाबा
पाळै-पोखै ईद नै उडीकै
किंयां हुवै अठै गुजर बाबा
जग कीं कैवै पण छोडां कोनी
आं आखरां में है असर बाबा</poem>
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