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14:51, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>सजधज आयी आ रात छिनाळ
म्हैं जाणू ईं री जात छिनाळ
रात भर सागै राखै भोर में
सूरज रै मारै लात छिनाळ
बळती बाजै का मुधरी पून
आ करै नित नुंवी घात छिनाळ
मुळकै-बतळावै पड़दो करै
इण री तो है हर बात छिनाळ
भरी पंचायत इत्तो कह उठी
कूड़ा है फेरा सात छिनाळ</poem>