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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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<poem>सूरज हुवै क्यूं हलाल बाबा
मामूली कोनी औ सवाल बाबा

दो दाणा लै डूबैला आपां नै
रह-रह क्यूं आवै औ खयाल बाबा

आं रुखाळां ताण लाज गई समझो
बुट्ठी तलवार थोथी ढाल बाबा

आज भलांई काढो आंसू दांई
याद करोला थे म्हानै काल बाबा

आ रात अंधारी पण सोच कांई
आस बंधै : हुवै अगूण लाल बाबा</poem>
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