847 bytes added,
15:29, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>हुवै जद म्हारै सागै भायला
आ सांस सोरी लागै भायला
अब कोसां तांई चाल्या बगसूं
सोच कांई है आगै भायला
आ बाजी जीतांला आपां ई
मन में आ आस जागै भायला
छोड छिटका परै जाता म्हैं ई
बांध्या कंवळै धागै भायला
आ ओळूं ई धन थारो-म्हारो
आई चालसी सागै भायला</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader