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16:02, 18 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>कांटां रो ढिग
इणी बाग में लाधै
फूलां री छाव
०००
चवड़ै-धाड़ै
पाप पोढै महलां
सीता अग्नि में
०००
पीड़ अणंत
ऐ आखर पांगळा
कांईं लिखूं?
०००
फूळो ना फोड़ो
हुक्म हाजर लाधो
शाबाशी थांनै
०००
पारकी थाळी-
घी घणो; खाली भेजो-
लागै दूजां रो
०००
</poem>