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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>कांटां रो ढिग
इणी बाग में लाधै
फूलां री छाव
०००

चवड़ै-धाड़ै
पाप पोढै महलां
सीता अग्नि में
०००

पीड़ अणंत
ऐ आखर पांगळा
कांईं लिखूं?
०००

फूळो ना फोड़ो
हुक्म हाजर लाधो
शाबाशी थांनै
०००

पारकी थाळी-
घी घणो; खाली भेजो-
लागै दूजां रो
०००
</poem>
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