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16:03, 18 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>भायां में ओपां
ओप दियां पैली थे
उतारो गाभां
०००
सांस अटकै
कुण जाणै आ पीड़
सांस जलमै
०००
सूरज चांद
लखावै म्हनै रोटी
-दीठ है खोटी !
०००
सिकती रोटी
रूळग्या मुसाफिर
चीकणी बोटी
०००
हा तो घणाई
आकरै तावड़ै म्हैं
आज एकलो
०००
</poem>