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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>भायां में ओपां
ओप दियां पैली थे
उतारो गाभां
०००

सांस अटकै
कुण जाणै आ पीड़
सांस जलमै
०००

सूरज चांद
लखावै म्हनै रोटी
-दीठ है खोटी !
०००

सिकती रोटी
रूळग्या मुसाफिर
चीकणी बोटी
०००

हा तो घणाई
आकरै तावड़ै म्हैं
आज एकलो
०००
</poem>
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