भायां में ओपां
ओप दियां पैली थे
उतारो गाभां
०००
सांस अटकै
कुण जाणै आ पीड़
सांस जलमै
०००
सूरज चांद
लखावै म्हनै रोटी
-दीठ है खोटी !
०००
सिकती रोटी
रूळग्या मुसाफिर
चीकणी बोटी
०००
हा तो घणाई
आकरै तावड़ै म्हैं
आज एकलो
०००
भायां में ओपां
ओप दियां पैली थे
उतारो गाभां
०००
सांस अटकै
कुण जाणै आ पीड़
सांस जलमै
०००
सूरज चांद
लखावै म्हनै रोटी
-दीठ है खोटी !
०००
सिकती रोटी
रूळग्या मुसाफिर
चीकणी बोटी
०००
हा तो घणाई
आकरै तावड़ै म्हैं
आज एकलो
०००