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15:14, 21 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>पैलां तो दाई
पछै न्हावायो भाई
छेकड़ भाई
०००
लोग सिखावै
खर्चे रा भाग मोटा
करां कठै सूं
०००
माल तो थांरै
पांती आसी म्हांरै ऐ
बोदा बुगचा
०००
नित लिखो थे
जुगां सूं पड़्यो एक
कागद कोरो
०००
-लागी तो कोनी
आखड़तांईं बोल्यो
मा रो काळजो
०००
</poem>