854 bytes added,
15:21, 21 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>म्हे जो कीं थारां
करां, कुण बरजै
बोलै तो मारां
०००
होठां पै ताळा
गळो टूंपता हाथ
ऐ दिन काळा
०००
नमो है थांनै
उडण री छूट द्यो
पंख काट’र
०००
कंठ अमूजै
जुगां सूं छाती माथै
भूख रा धोरा
०००
अंधार धुप्प
स्सो कीं गमग्यो तो ई
चौफेर चुप्प
०००
</poem>