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07:07, 23 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>हरख सूंपी
थांरै हाथां ताकत
अबै रोवां म्हे
०००
रोसणी सोधो
आगै बधो- भींत है
भाट्ठा उठावो
०००
जठै जावता
फूल हा काल, आज-
गाळ्यां’र जूता
०००
हाथी रै होदै
घूमता गळी-गळू
आज उपाळा
०००
जूतां रो दाब
कांईं करता और
सिलाम सा’ब !
०००
</poem>