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{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>लाम्बो मारग
अबखायां भर्योड़ो
-चाल, तूं चाल !
०००
थकां सूरज
दिसावां काळी व्हैगी
जीवारो किंयां ?
०००
ऐ सै इकडौळा
पण आस जगावै
तीजी ताकत
०००
नूंवो जरूर-
सावळ जाणूं थांरै
छळ छंदा नै
०००
आज म्हे ऊभा
आं ई कटघड़ा में
काल थे व्हौला
०००
</poem>
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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>लाम्बो मारग
अबखायां भर्योड़ो
-चाल, तूं चाल !
०००
थकां सूरज
दिसावां काळी व्हैगी
जीवारो किंयां ?
०००
ऐ सै इकडौळा
पण आस जगावै
तीजी ताकत
०००
नूंवो जरूर-
सावळ जाणूं थांरै
छळ छंदा नै
०००
आज म्हे ऊभा
आं ई कटघड़ा में
काल थे व्हौला
०००
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