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आखर री औकात, पृष्ठ- 54 / सांवर दइया
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लाम्बो मारग
अबखायां भर्योड़ो
-चाल, तूं चाल !
०००
थकां सूरज
दिसावां काळी व्हैगी
जीवारो किंयां ?
०००
ऐ सै इकडौळा
पण आस जगावै
तीजी ताकत
०००
नूंवो जरूर-
सावळ जाणूं थांरै
छळ छंदा नै
०००
आज म्हे ऊभा
आं ई कटघड़ा में
काल थे व्हौला
०००