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{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>अंगां में काम
जद सूं आयो बैरी
नींद हराम
०००
बळता खीरा
चाखतांई ठा पड़ी
मिश्री री डळी
०००
दो पांखड़ियां
होठां सूं चाखी, लागी-
गुळकंद-सी
०००
म्हैं पूछ्यो- कद
अंग हुयग्या लाल
बा बोली- हुं ! धत् !
०००
होळै-सी पूछ्यो-
ओ खेल फेरूं कद ?
- थे कैवो जद !
</poem>
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|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>अंगां में काम
जद सूं आयो बैरी
नींद हराम
०००
बळता खीरा
चाखतांई ठा पड़ी
मिश्री री डळी
०००
दो पांखड़ियां
होठां सूं चाखी, लागी-
गुळकंद-सी
०००
म्हैं पूछ्यो- कद
अंग हुयग्या लाल
बा बोली- हुं ! धत् !
०००
होळै-सी पूछ्यो-
ओ खेल फेरूं कद ?
- थे कैवो जद !
</poem>