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Kavita Kosh से
बादल बरस रहे बचकाने
आँख मूँद कर दिए जा रहे
बादल बरस रहे बचकाने
करता-फिरता है मनमानी
बीन-बीन कर गाँव गिराए
सारे नियम किए मटमैले