भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
बाल्टी जब कुएँ में गिर जाए
रस्सियों में गाँठ बाँधो
ढूँढ़ ले जब लौह अपनी जात
कारगर हो जाए जब
बाल्टी जब कुएँ में गिर जाए
</poem>