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<poem>
खद्दरधारी कहें करां म्हे भोत भलाई,
देश भक्त हाँ मगर कभी खुद जावे खई।खाई।
पेट दियो भगवान कह्यां इन तो भरस्या,
लोगों समझो बात और म्हे कांई करस्या।
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