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Kavita Kosh से
कोई अपना
छोड़ साथ यों
चला गया किस ओर !
टप-टप-टप-टप
चीख़ रहा है
पल-छिन छिन-पल
अपने मन का मोर !
किसने जाना
किसने जाना
कहाँ और कब
मुड़ जाएगी नैया !
जान गए भी
तो क्या होगा
समय बड़ा है चोर !
पास हमारे
मुझको किसी ठिकाने
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