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छत के किसी कोने में / सुकीर्ति गुप्ता
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04:04, 24 मार्च 2012
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}}
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छत के किसी कोने में
कि अब गिरी…अब गिरी.
वर्षा थम चुकी है
गिरती है ‘टप्प’ से
</poem>
Dr. ashok shukla
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