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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='अना' क़ासमी |संग्रह=|संग्रह=हवाओं क...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार='अना' क़ासमी
|संग्रह=|संग्रह=हवाओं के साज़ पर / 'अना' क़ासमी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
क़तअ़ात
अब्र बेताब होके चीख़ पड़ा
बर्क़ अँगड़ाई लेके जाग उठी
क़तरा-क़तरा जिगर से खूँ टपका
रात तनहाई लेके जाग उठी
ख़ूब हरियाये हैं चने के खेत
बेरियाँ फल रही हैं आ जाओ
फुरसतों के भी कुछ तक़ाज़े हैं
छुट्टियाँ चल रही हैं आ जाओ
</poem>
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क़तअ़ात
अब्र बेताब होके चीख़ पड़ा
बर्क़ अँगड़ाई लेके जाग उठी
क़तरा-क़तरा जिगर से खूँ टपका
रात तनहाई लेके जाग उठी
ख़ूब हरियाये हैं चने के खेत
बेरियाँ फल रही हैं आ जाओ
फुरसतों के भी कुछ तक़ाज़े हैं
छुट्टियाँ चल रही हैं आ जाओ
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