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|रचनाकार= राजुल मेहरोत्रा
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[[Category:लम्बी रचना]]
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|पीछे= हिन्दी: एक परिचय / राजुल मेहरोत्रा
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|सारणी= हिन्दी काव्य का इतिहास
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हिन्दी साहित्य की रचना विदेशी आक्रमणोँ, युद्धों तथा गुलामी की परिस्थितियों मेँ हुई। मौखिक परम्परा मेँ जो कुछ सामग्री शेष रही, वह भी बहुत तथा भाषा की दृष्टि से इतनी बदल गयी कि उसका मूल रूप ही समाप्त हो गया। इस काल मेँ हिन्दी साहित्य मुख्यत: तीन क्षेत्रोँ से सम्बन्धित रहा है - राज्य, धर्म और लोक। राजदरबार में हिन्दी से सम्बन्धित सामग्री प्राप्त तो होती है किन्तु रचनाओँ मेँ क्षेपकोँ के बाहुल्य के कारण वीरगाथात्मक रासो ग्रन्थों की प्रामाणिकता समाप्त हो गयी है। धर्म के क्षेत्र में अध्यात्म, भक्ति सम्बन्धी अनेक रचनाएँ प्राप्त होती हैँ, ये अपेक्षाकृत अधिक प्रामाणिक हैँ। साहित्य प्रेमियोँ ने बहुत सी हस्तलिखित रचनाओँ को सुरक्षित रखा है तथा बहुत सा साहित्य मौखिक परम्परा में सुरक्षित रखा है।
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