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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
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[[Category:गीत]]
<poem>
मैंने सातों सुर साधे हैं
फिर भी बिना तुम्हारे, मेरे गीत अभी आधे हैं
 
राग गले तक रह जाता है
जग का हृदय न छू पाता है
जुड़ न सका तुमसे नाता है
यों तो मैंने कसकर मन के तार-तार बाँधे हैं
 
मेरे शब्द-भ्रमर गुमसुम-से
मिलकर भी हर कली-कुसुम से
मिले नहीं उपवन में तुमसे
इतना लिख-लिखकर भी लगता, पृष्ठ सभी सादे हैं
 
मैंने सातों सुर साधे हैं
फिर भी बिना तुम्हारे, मेरे गीत अभी आधे हैं
<poem>
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