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तुरपाई / हाज़ेल हाल

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टिक .... टिक ..
तिक .... तिक ...
ओह,
टिक ....तिक
तिक ...टिक .....
 
इस बसंत को पहनने के लिए
कि जैसे बाहर की धरती से कोई भी रंग उठाने में सलाइयों को डर लग रहा हो
टिक..तिक ...
और फिर इसके बाद फूलों की गोल-गोल पंखुड़ियाँ
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