तुरपाई / हाज़ेल हाल
हवा बारिश की सुइयों से लगातार सिल रही है
बारिश की चमकती सुइयों से
वह धरती के महीन कपड़े पर तुरपाई कर रही है ... टिक ...तिक ...
टिक .... टिक ..
तिक .... तिक ...
ओह,
हवा ने मुझे भी कई बार
इस सबके साथ सिल डाला है
टिक ....तिक
तिक ...टिक .....
इस बसंत को पहनने के लिए
बहुत बारीक बहुत महीन कपड़े चाहिए
पहले वाले दूसरे बसंतों की तरह
रेशमी घास के कपड़े .... और घास भी ऐसी ,
जैसे कोई बारीक कशीदाकारी ... टिक ... तिक ... तिक....
टिक ..... टिक... टिक ....
तिक .... तिक ....तिक ....
फिर हर कशीदाकारी इतनी बारीकी से
कि जैसे बाहर की धरती से कोई भी रंग उठाने में सलाइयों को डर लग रहा हो
टिक.. तिक ...
और फिर इसके बाद फूलों की गोल-गोल पंखुड़ियाँ
और फिर वे सारे साफ-शफ़्फ़ाफ महीन सुंदर कपड़े
जिन्हें बसंत इस बार पहनेगा
हवा को वर्षा की चमकती-लपकती सुइयों-सलाइयों से
तुरपाई करनी है ...धरती के महीन कपड़े के साथ ....
टिक .... टिक .... टिक...
तिक .... तिक ... तिक ....
भविष्य के सारे बसंतों के लिए .....
सारे आने वाले बसंतों के लिए
टिक ...
तिक ....
टिक ... टिक ...
तिक ... तिक ... ।।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदय प्रकाश
और लीजिए अब इस कविता का मूलपाठ पढ़िए
Two Sewing
by Hazel Hall (1886-1924)
The wind is sewing with needles of rain.
With shining needles of rain
It stitches into the thin
Cloth of earth. In,
In, in, in.
Oh, the wind has often sewed with me.
One, two, three.
Spring must have fine things
To wear like other springs.
Of silken green the grass must be
Embroidered. One and two and three.
Then every crocus must be made
So subtly as to seem afraid
Of lifting colour from the ground;
And after crocuses the round
Heads of tulips, and all the fair
Intricate garb that Spring will wear.
The wind must sew with needles of rain,
With shining needles of rain,
Stitching into the thin
Cloth of earth, in,
In, in, in,
For all the springs of futurity.
One, two, three.