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<poem>मौत के कितने नाखून<br>नाख़ूनकितनी गहराई तक<br>धँसे हैं मेरे सीने में!<br><br>
दर्द की कैसी -कैसी नदियाँ<br>टहल रही हैं होंठों पर<br>अपने तमाम मगरमच्छों के साथ !<br><br>
और तुम<br>अपनी हँसी की तलाश में<br>मेरा चेहरा रौंद रहे हो !?</poem>