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जो तू सागर से बनी थी / अज्ञेय
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10:49, 9 अगस्त 2012
(जलजा की प्रिया की परछाईं)!
एक दिन शान्त, सोहनी, सुहासिनी,
धूप-सुनहली, चाँदनी-रुपहली,
नाविक की मनमोहिनी-
एक दिन वरुण की बाज-लदी कोहनी,
आधी विनाशिनी!
'''अक्टूबर, 1969'''
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