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फिर कर लेने दो प्यार प्रिये / दुष्यंत कुमार
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06:20, 1 अप्रैल 2013
खो बैठा अपने हाथों ही
मैं अपना कोष अपार प्रिये
फिर कर लेने दो प्यार प्रिये ..
</poem>
Sharda suman
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