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चौदह खँड ऊपर तर राखेउँ । नाद चलाइ भेद बहु भाखेउँ ॥<br>
चार फिरिस्तन बड औतारेउँ । सात खंड बैकुंठ सँवारेउँ ॥<br>
सवा लाख पैगंबर सिरजेउँ । कर करतूति उन्हहि धै बँधेउँ ॥<br>
औरन्ह कर आगे कत लेखा । जेतना सिरजा को ओहि देखा ? ॥<br>
तुम तहँ एता सिरजा, आप कै अंतरहेत ।<br>
देखहु दरस मुम्मद ! आपनि उमत समेत ॥50॥<br><br>