भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गीत-1 / नीरज दइया

561 bytes added, 01:07, 16 मई 2013
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=उचटी हुई नींद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>जो गीत
गा रही हो तुम
पहले भी मैंने
सुना है- कई बार
पर सुन रहा हूं इसे
तुमसे पहली बार।

लगा मुझे
शब्द तो वही हैं
लेकिन अर्थ नए
रचे तुमने
या समय ने!</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits