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ज़मीं-ज़मीं गुनाह है सजे हुए गुलाब से / निश्तर ख़ानक़ाही
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'ज़मीं-ज़मीं गुनाह है सजे हुए गुलाब से'
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ज़मीं-ज़मीं गुनाह है सजे हुए गुलाब से
हज़ार बार उम्मतें* गुज़र चुकीं अज़ाब से
Sharda suman
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