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नरबलि : अभिधा की एक शाम / विवेक निराला
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05:55, 22 अक्टूबर 2007
अहंकार से लथपथ
शत्पथी
शतपथी
ब्राह्मणों के
पान से ललाये मुख
आयताकार प्रकाश
-
पुंज
फैला है भीतर
ऋषिगण करते आलोचन
लोहित
-
लोचन ।
अनिल जनविजय
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