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गुल-ए-मौसम खिला है / नीना कुमार
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15:02, 14 अगस्त 2013
हाय नाकामी-ए-दिल मगर
बहुत अफ़सुर्दा सुबह है …
मिजाज़
मिज़ाज
बादलों का भी आज
आदमी की तरह है
बरसना चाहता है पर
Lalit Kumar
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