Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेर सिंह नाज़ 'देहलवी' }} {{KKCatGhazal}} <poem> क...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शेर सिंह नाज़ 'देहलवी'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
क्या ख़बर थी कोई रूसवा-ए-जहाँ हो जाएगा
कुछ न कहना भी मिरा हुस्न-ए-बयाँ हो जाएगा

अपने दीवाने का तुम जोश-ए-जुनूँ बढ़ने तो दो
आस्तीं दामन गिरेबाँ धज्जियाँ हो जाएगा

आशिक़-ए-जाँ-बाज़ हैं हम मुँह ने मोड़ेंगे कभी
तुम कमाँ से तीर छोड़ो इम्तिहाँ हो जाएगा

टूटी फूटी क़ब्र भी कर दो बराबर शौक़ से
ये भी अपनी बे-निशानी का निशाँ हो जाएगा

शादयाने बज रहे हैं आज जिस जा ‘नाज़’ कल
दम ज़दन में देख लेना क्या समाँ हो जाएगा
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,244
edits