भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='वहशत' रज़ा अली कलकत्वी }} {{KKCatGhazal}} <poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार='वहशत' रज़ा अली कलकत्वी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
किस नाम-ए-मुबारक ने मज़ा मुँह को दिया है
क्यूँ लब पे मेरे ज़मज़म-ए-सल्ल-ए-अला है

किस दर की गदाई मेरी क़िस्मत में है या रब
सर पर जो मेरे साया-फ़गन बाल-ए-हुमा है

सीने में मेरे दाग़-ए-ग़म-ए-इश्क़-ए-नबी है
इक गौहर-ए-नायाब मेरे हाथ लगा है

सरगर्म है दिल शाफ़ा-ए-महशर की तलब में
काफ़िर हूँ अगर कुछ भी ग़म-ए-रोज़-ए-जज़ा हुई

गुस्ताख़ तेरी मदह-सराई में है ‘वहशत’
क्यूँकर न हो तेरे ही तो कूचे का गदा है
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,244
edits